महात्मा गांधी क्यों जरूरी?
क्या हम गांधी को अनिवार्य सिर्फ इसलिए मानते हैं क्योंकि उन्होंने चरखा चलाया था, या देश के स्वतंत्रता संग्राम में जेल गए थे ? क्या हम नेहरू की तारीफ सिर्फ इसलिए करते हैं, क्योंकि उन्होंने जीवन के 9 वर्ष जेल में बिताए या फिर वो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे ?

मैं कहता हूं नहीं !! गांधी की अनिवार्यता इसलिए है क्योंकि उन्होंने एक ऐसे भारत की परिकल्पना की, ऐसे भारत के निर्माण के लिए अपने प्राणों की आहूति दी जिसमें भय, उन्माद, विद्वेष आदि का कोई स्थान नहीं था। नेहरू स्मृतियों में इस लिए सहेजे हुए हैं क्योंकि नेहरू ने आजादी के बाद के सबसे कच्चे वर्षों में भारत का नेतृत्व किया, राष्ट्र को मजबूत आधार दिया। खाद्यान्न से लेकर विज्ञान और संस्थान तक के संकट को दूर करने में अपना समय बिताया।
भारत को कौन स्वीकार्य?
कहने का बस इतना सा मतलब है कि कारावास की सजा भर पाना किसी को वीर या स्वीकार्य नहीं बनाता। स्वीकार्यता उसके विचारों की होती है। इस अर्थ में देश को धर्म के नाम पर बांटने की बात करने वाला, हिंदू-मुसलमान के बीच बढ़ती खाई को और गहरा करने वाला, ब्रिटिश सत्ता के आगे झुक जाने वाला व्यक्ति गांधी के भारत को स्वीकार्य नहीं हो सकता।
देश में राष्ट्रवाद पर डबल स्टैंडर्ड?
अच्छा एक मजेदार बात, सत्ताधारी दल का दोहरापन देखिए। वो भगत सिंह की उतनी प्रशंसा नहीं करते, जितनी सावरकर की करते हैं, पता है क्यों, क्योंकि भगत सिंह की प्रशंसा उनके सावरकर को कमजोर करेगी। क्योंकि भगत सिंह अंग्रेजों से माफी नहीं मांगते, इनके सावरकर ने माफी मांगी थी। भगत सिंह धर्म को महत्व नहीं देते, लेकिन इनकी सारी राजनीति और इनके आदर्श सावरकर के केंद्र में सिर्फ धर्म ही है।
और अंत में एक बात, जब भी सावरकर को उनके कालापानी कारावास के लिए याद कीजिए तो साथ में ये भी याद कीजिए कि उन्होंने इस कालापानी कारावास से निकलने के लिए अंग्रेजों से बिना शर्त माफी मांगी थी और ऐसा न तो मंगल पांडेय ने किया था, न भगत सिंह ने, न चंद्रशेखर आजाद ने और न सुभाष चन्द्र बोस ने..कोई झुका नहीं था।
*ये लेखक के निजी विचार हैं