ब्रिटेन का दावा है कि रूस यूक्रेन की मदद करने वाले देशों पर साइबर हमले की तैयारी में है। वहीं दूसरी तरफ व्हाइट हाउस की तरफ से कहा गया है कि अमेरिका यूक्रेन को सुरक्षा की कोई गांरटी नहीं देगा, क्योंकि जो बाइडेन (Joe Boden) रूस के साथ सीधा सैन्य टकराव नहीं चाहते हैं। इसके पहले अमेरिकी अधिकारियों ने दावा किया था कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को यूक्रेन में रूसी सेना के खराब प्रदर्शन के बारे में उनके सलाहकार गलत सूचना दे रहे हैं। एक अधिकारी ने बताया कि इसके चलते पुतिन और वरिष्ठ रूसी सैन्य अधिकारियों के बीच तनाव बना हुआ है।
यूक्रेन तुलनात्मक तौर पर फिलहाल रूस के साइबर हमलों से हाल तक बचा रहा है लेकिन विशेषज्ञों को अब इस बात का डर है कि वो यूक्रेन के सहयोगियों के खिलाफ़ साइबर हमले कर सकता है। यूक्रेन पर रूसी हमला शुरू होने के तुरंत बाद यूक्रेनी सरकार और सैन्य एजेंसियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सेटेलाइट नेटवर्क पर हुए साइबर हमले के कारण यूरोपीय देशों के हजारों लोगों के ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्शन प्रभावित हुए थे। उपग्रह (सेटेलाइट) के स्वामित्व वाली कंपनी ने बुधवार को यह खुलासा किया।
ये भी पढ़ें
अमेरिका की कंपनी वायासेट ने इस बात का भी खुलासा किया कि किस तरह साइबर हमले को अंजाम दिया गया, जो अब तक किसी भी युद्ध के दौरान किया गया सबसे बड़ा साइबर हमला है। कंपनी ने इस हमले के व्यापक प्रभाव के बारे में भी जानकारी साझा की है।
विशेषज्ञों का एक बड़ा डर रूसी साइबर क्षमताओं को लेकर है। ऐसी आशंका है कि पुतिन सरकार साइबर क्राइम गिरोहों को अमेरिकी टारगेट पर सुनियोजित हमले करने को कह सकते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो।
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने देश की निजी कंपनियों और संगठनों को अपने ‘डिजिटल दरवाजे बंद रखने’ को कहा है। उन्होंने खुफिया एजेंसियों की सूचनाओं को हवाला देते हुए दावा किया है कि रूस अमेरिका पर साइबर हमले की योजना बना रहा है।
ब्रिटेन के साइबर अधिकारी भी व्हाइट हाउस की ओर साइबर सिक्योरिटी के प्रति सवधानी बरतने की इस अपील का समर्थन कर रहे हैं। हालांकि किसी ने भी ऐसा कोई सुबूत नहीं दिया है, जिससे लगे कि रूस साइबर हमले की तैयारी कर कर रहा है। इससे पहले रूस ने इस तरह के आरोपों को ‘रूसोफोबिक’ करार दिया था। हालांकि ये भी सच है कि रूस साइबर सुपरपावर है और उसके पास घातक साइबर टूल हैं। उसके पास ऐसे हैकर भी हैं जो साइबर दुनिया में उथल-पुथल मचा सकते हैं और बेहद खतरनाक साइबर हमले कर सकते हैं। हालांकि ऐसा करना रूस के लिए भी खतरा बन सकता है क्योंकि अब पश्चिमी देशों की भी रूसी नेटवर्कों में खासी पहुंच हो गई है।
आखिर ऐसे कौन से साइबर हमले हैं, जिनका डर विशेषज्ञों का सबसे ज्यादा सता रहा है। उन्हें लगता है कि ऐसे खतरनाक हमले फिर हो सकते हैं।
रूस के वो तीन साइबर अटैक, जिनसे पश्चिमी देश रहते हैं खौफ़ज़दा
ब्लैक एनर्जी - अहम इन्फ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाने वाला हमला यूक्रेन को अक्सर रूस का हैकिंग प्लेग्राउंड कहा जाता है. रूस ने हमले की अपनी तकनीक और टूल्स की जांच के लिए वहां कई हमले किए हैं। 2015 में ब्लैक एनर्जी कहे जाने वाले साइबर अटैक में यूक्रेन की इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड खराब हो गई थी। इस वजह से पश्चिमी यूक्रेन में यूटिलिटी कंपनी के 80 हजार ग्राहकों को सीधे ब्लैकआउट का सामना करना पड़ा था। -BBC की रिपोर्ट
इंडस्ट्रोयर साइबर अटैक इसके ठीक एक साल बाद इंडस्ट्रोयर नाम का एक और साइबर हमला हुआ, जिससे यूक्रेन की राजधानी कीएव के पांचवें हिस्से में एक घंटे के लिए पूरी तरह अंधेरा छा गया। उस वक्त अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने इस हमले के लिए रूसी मिलिट्री हैकर को दोषी ठहराया था। -BBC की रिपोर्ट
नॉटपेट्या-बेकाबू विध्वंस नॉटपेट्या दुनिया के इतिहास में अब तक का सबसे ज्यादा नुकसान करने वाला साइबर अटैक समझा जाता है। अमेरिकी ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन के अधिकारियों ने इस हमले का आरोप रूसी मिलिट्री हैकरों पर लगाया। इस हमले में जो सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया गया था वो यूक्रेन में काफी इस्तेमाल किए जाने वाले अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर के अपडेट में डाला गया था। लेकिन ये पूरी दुनिया में फैल गया और इसने हजारों कंपनियों के कंप्यूटर सिस्टम को ध्वस्त कर दिया। इससे 10 अरब डॉलर ( 7.5 अरब पाउंड) का नुकसान हुआ था। -BBC की रिपोर्ट