होली का पाकिस्तान से है गहरा नाता
होली हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि भारत के इस सबसे प्रसिद्ध त्योहार का संबंध पाकिस्तान से है? माना जाता है कि होली की शुरुआत भारत में नहीं बल्कि पाकिस्तान से हुई। पढ़कर बेशक हैरानी हुई होगी, लेकिन ये सच है।
होली (Holi) की शुरुआत पाकिस्तान के मुल्तान से हुई थी
इसके पीछे बेहद ही खास वजह बताई जाती है और वो है पाकिस्तान के मुल्तान शहर में मौजूद प्रल्हादपुरी मंदिर (Prahladpuri Temple)। जिस जगह ये शुरुआत हुई थी, वहां आज भी एक मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर को प्रहलाद मंदिर के नाम से जाना जाता है। ये मंदिर नरसिंह भगवान का पहला मंदिर माना जाता है, यही से होली (Holi) की शुरुआत हुई थी और यहां होली का त्योहार नौ दिनों तक मनाया जाता है।

आज भी भले ही पाकिस्तान अलग है, लेकिन आस्था के जो निशान अब भी वहां मौजूद हैं। उनके प्रति अभी भी भारतीयों की श्रद्धा वैसी ही है, जैसी कि अपनी विरासत से होती है। मुल्तान कभी प्रह्लाद की राजधानी था और उन्होंने ही यहां भगवान विष्णु का भव्य मंदिर बनवाया। मुल्तान वास्तव में संस्कृत के शब्द मूलस्थान का परिवर्तित रूप है, वो सामरिक स्थान जो दक्षिण एशिया और ईरान की सीमा के चलते सैन्य दृष्टि से संवेदनशील था।
पाकिस्तान में आज भी भक्त प्रह्लाद से जुड़े मंदिर के भग्नावशेष मौजूद हैं। दावा किया जाता है कि वो खंभा आज भी मौजूद है जिससे भक्त प्रह्लाद को बांधा गया था और जहां से साक्षात नरसिंह देवता प्रकट हुए थे। कुछ लोग इस खंभे को भक्त प्रह्लाद के बंधे होने की मान्यता को मानते हैं जबकि कुछ ये मानते हैं कि इसी से नरसिंह देवता प्रकट हुए थे।
बाबरी विध्वंस के बाद प्रह्लाद मंदिर को पहुंचाया नुकसान
भारत में बाबरी मस्जिद को गिराने के बाद पाकिस्तान में कई हिन्दू मंदिरों को गिराया गया था। उनमें से एक प्रहलादपुरी मंदिर भी था। उस समय इस मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा था। वहीं इस मंदिर में रखी भगवान नरसिंह की मूर्ति को संत बाबा नारायण दास बत्रा भारत लेकर आ गए थे। वो मूर्ति अब हरिद्वार में है।