ED Raids: देश भर में ED की ताबड़तोड कार्रवाइयों ने पॉलिटिकल टेंपरेचर को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है..सर्दियों के महीने में ED का एक्शन बड़े-बड़े लोगों के पसीने छुड़ा रहा है..बड़े-बड़े नेताओं को सर्द कर दे रहा है..ED के एक्शन से झारखंड में हेमंत सोरेन की सीएम की कुर्सी छिन गई..
हेमंत सोरेन गिरफ्तार कर लिए गए
अब ED के समन से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बचते फिर रहे हैं
हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद खतरे की घंटी सबसे तेज तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आस पास ही बज रही होगी..
तमाम दांव-पेच और भागमभाग के बाद लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हेमंत सोरेन का शिकार तो हो ही गया..अभी दिल्ली के मुख्यमंत्री और प्रवर्तन निदेशालय के बीच जोर आजमाइश चल रही है..दिल्ली के शराब घोटाले को लेकर ED केजरीवाल को पेश होने के लिए समन पर समन भेज रही है..लेकिन केजरीवाल पेश होने से बचते फिर रहे हैं..और BJP केजरीवाल को भगोड़ा करार दे रही है..कह रही है कि केजरीवाल का हश्र भी हेमंत सोरेन जैसा होने वाला है..
अगर हेमंत सोरेन से अरविंद केजरीवाल की तुलना करें तो दिल्ली के मुख्यमंत्री ने खतरनाक सफर का अभी आधा हिस्सा ही पूरा किया है..
ED ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार करने से पहले 10 नोटिस भेजे थे
और अरविंद केजरीवाल को अब तक 5 नोटिस मिल चुके हैं
गिरफ्तारी से बचने या उसका सबसे ज्यादा फायदा उठाने वाले मौके की तलाश में जैसे हेमंत सोरेन जुगाड़ में रहे होंगे, अरविंद केजरीवाल को वैसी तरकीबों की अब भी तलाश होगी..
ED के पांचेव समन के बाद शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले में ED के सामने पेश होना था..लेकिन अरविंद केजरीवाल पेश नहीं हुए..उल्टे वो बीजेपी के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए सड़क पर उतर गए..तो क्या अरविंद केजरीवाल को ये समझ आ गया है कि अब ED के शिकंजे से बचना उनके लिए मुश्किल है? जैसे हेमंत सोरेन ED के कई समन टालने के बाद भी बच नहीं पाए..ED ने हेमंत सोरेन से घंटों पूछताछ की और उसके बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया..वैसे ही अरविंद केजरीवाल भी ये समझ गए हैं कि अब ED कभी भी उनके दरवाजे पर आ सकती है..तो क्या इसलिए अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी पहले से ही बीजेपी के खिलाफ सड़क पर माहौल बना रही है?
आम आदमी पार्टी को ये समझ आ गया है कि वो ED को तो नहीं रोक सकते..लेकिन अपने पक्ष में माहौल जरूर बना सकते हैं..ताकी अगर कल को केजरीवाल की गिरफ्तारी की नौबत आती भी है..तो ये नैरेटिव बनाया जा सकता है कि पीएम मोदी के खिलाफ बोलने की कीमत अरविंद केजरीवाल को चुकानी पड़ रही है..
दिल्ली शराब घोटाला मामले में दिल्ली के डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया और AAP सांसद संजय सिंह पहले से ही जेल में बंद हैं
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने संजय सिंह और मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत की अवधि को 17 फरवरी तक बढ़ा दिया है
ED के रडार पर विपक्ष के कितने मुख्यमंत्री
अरविंद केजरीवाल देश के कोई अकेले मुख्यमंत्री नहीं हैं..जो ED की जांच के रडार पर सबसे ऊपर चल रहे हैं..उनकी ही तरह तेलंगाना के नये नवेले मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी भी ED की जांच के दायरे में हैं..
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी
रेवंत रेड्डी के खिलाफ भी मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच चल रही है..रेवंत रेड्डी पर आरोप है कि 2015 में हुए MLC चुनाव में अपने पक्ष में वोट देने के लिए उन्होंने एक विधायक को 50 लाख रुपये की कथित तौर पर रिश्वत दी थी..तब वो TDP में थे..
केरल के सीएम पिनराई विजयन
केरल के मुयमंत्री पिनराई विजयन का नाम भी इस लिस्ट में हैं..हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का ठेका देने में भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है..जिसकी जांच 2021 से ED कर रही है
आंध्र के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी
आंध्र प्रदेश वाले जगनमोहन रेड्डी भी कतार में बने हुए हैं..ED ने 2015 में जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ उनकी कंपनी भारती सीमेंट में वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर केस दर्ज किया था
किन विपक्षी नेताओं तक ED की जांच की आंच
ED की जांच के दायरे में तो NCP नेता शरद पवार भी हैं, और आंच तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी तक पहले ही पहुंच चुकी है..अब देखना है कि कब किसकी बारी आती है..हालांकि झारखंड और दिल्ली से पहले ED का एक्शन बिहार में हो चुका था..बिहार में सत्ता से हाथ धोने के अगले ही दिन पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को कई घंटे ईडी दफ्तर में गुजारने पड़े थे..30 जनवरी को तेजस्वी यादव से 8 घंटे तक पूछताछ हुई..वहीं इससे पहले 29 जनवरी को तेजस्वी के पिता और RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से 10 घंटे तक ED अधिकारियों का सवाल जवाब हुआ..लालू फैमिल रेलवे में लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में आरोपी है..
सर्द मौसम और शीतलहर के बीच ED के फुल एक्शन से देश का सियासी पारा बेहद चढ़ चुका है..विक्टिम कार्ड खेल रहीं विपक्षी पार्टियां इसे ED के अफसरों पर चुनावी मौसम का असर बता रही हैं..केंद्र सरकार पर ED और CBI जैसी एजेंसियों को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगा रही हैं..ED की कार्रवाई की टाइमिंग पर सवाल उठा रही हैं..
परेशान सिर्फ केजरीवाल, हेमंत सोरेन या लालू तेजस्वी ही नहीं हैं..परेशान कांग्रेस भी है..फिलहाल ED-CBI की रडार पर विपक्ष के 14 पूर्व CM, 4 मुख्यमंत्री, 2 डिप्टी सीएम हैं..लेकिन ED की हिटलिस्ट में सबसे ज्यादा नंबर कांग्रेस के नेताओं का है..राहुल गांधी और सोनिया गांधी से प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी लंबी पूछताछ कर चुके हैं..हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र हुड्डा से भी ED के अधिकारियों ने पूछताछ की है.. हुड्डा के खिलाफ मानेसर लैंड डील और AJL केस में ईडी की जांच चल रही है..ऐसे ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के मुख्यमंत्री रहे भूपेश बघेल भी मनी लॉन्ड्रिंग के तीन मामलों में जांच का सामना कर रहे हैं..महादेव बेटिंग ऐप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भी बघेल ED के रडार पर हैं..राजस्थान एंबुलेंस स्कैम केस में तो राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ साथ डिप्टी सीएम रहे सचिन पायलट और कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम का नाम भी शामिल है..
जहां ED को मोदी सरकार का हथियार बताने वाले विपक्ष के आरोपों की बात है..तो एक नजर इन आंकड़ों पर भी डाल लेते हैं..
ED ने साल 2004-2014 यानी UPA के राज में भ्रष्टाचारियों की 5,346 करोड़ रुपये की अवैध प्रॉपर्टी कुर्क की
वहीं बीते 9 सालों यानी 2014-2022 में मोदी सरकार में 95,000 करोड़ से अधिक की अवैध संपत्ति की कुर्की की है
मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कानून आने के बाद से 31 जनवरी 2023 तक 5 हजार 906 केस दर्ज किए गए
इनमें से 176 यानी 2.98% मामले मौजूदा या पूर्व सांसद, विधायक और MLC के खिलाफ हैं
ED के कुल केसेज में 1 हजार 142 मामलों में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है
25 मामलों में ट्रायल पूरा हो चुका है, 24 मामलों में आरोपी दोषी ठहराए गए हैं
इस हिसाब से मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में कन्विक्शन रेट 96 फीसदी है
लेकिन, आर्थिक अपराध को रोकने के लिए बनी ये एजेंसी राजनीतिक विवादों में फंस रही है..विपक्षी पार्टियां बार-बार केंद्र सरकार पर ED को विपक्ष पर प्रहार लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाती आ रही हैं..हालांकि, सरकार ने इसे केवल मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कार्रवाई बताया है..
क्या है PMLA कानून?
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी PMLA को आम भाषा में समझें तो इसका मतलब है- दो नंबर के पैसे को हेरफेर कर ठिकाने लगाने वालों के खिलाफ कानून..MLA के तहत ED को आरोपी को अरेस्ट करने, उसकी संपत्तियों को जब्त करने, गिरफ्तारी के बाद जमानत मिलने की सख्त शर्तें और जांच अधिकारी के सामने रिकॉर्ड बयान को कोर्ट में सबूत के रूप में मान्य होने जैसे नियम उसे ताकतवर बनाते हैं..
फिलहाल ED की छापेमारी से देश का सियासी पारा चढ़ा हुआ है..लेकिन इस हंगामे के बीच ED के रडार पर आए बड़े नेताओं को ये डर जरूर सता रहा है कि अगला नंबर उनका तो नहीं..