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UCC : उत्तराखंड में प्रयोग, बनेगा चुनावी माहौल!

  • उत्तराखंड विधानसभा में UCC बिल पेश
  • कांग्रेस का सवाल- बिल से जनजाति महिलाएं अलग क्यों?
  • BJP बोली- जरुरत हुई तो संशोधन करेंगे

उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता कानून (UCC) का ड्राफ्ट पेश किया। धामी ने कहा कि इस बिल में सभी धर्मों और सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है। UCC पर ड्राफ्ट लाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है। माना जा रहा है कि मंगलवार और बुधवार दो दिन इस बिल पर सदन में बहस होगी। बुधवार को इसे पास किया जाएगा।

इस बिल को पास कराने के लिए भारतीय जनता पार्टी के पास पर्याप्त बहुमत है। प्रदेश की विधानसभा में भाजपा के पास 47 और कांग्रेस के पास 19 सीटें हैं। इस बहुमत के साथ धामी सरकार को बिल पास कराने में अधिक दिक्कत नहीं होगी।


उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून बनाना बीजेपी का चुनावी घोषणापत्र वाला वादा था। धामी सरकार ने जन आकांक्षाओं के मुताबिक वो कानून बना दिया है। मंगलवार को विधानसभा के पटल पर समान नागरिक संहिता (UCC) बिल पेश किया गया। सदन में बीजेपी विधायकों ने जय श्रीराम के नारे लगाए। वहीं, बीजेपी को लेकर देखा जाए तो UCC पार्टी के प्राथमिक मुद्दों में शामिल रहा है। बीजेपी के जो तीन प्रमुख मुद्दे रहे हैं, उनमें दो मुद्दे राम मंदिर का निर्माण और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का वादा पूरा हो गया है। अब सिर्फ यूसीसी ही बाकी रह गया है।

बिल पेश करने से पहले मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जिस वक्त का लंबे समय से इंतजार था, वो पल आ गया है। न केवल प्रदेश की सवा करोड़ जनता बल्कि पूरी देश की निगाहे उत्तराखंड की ओर बनी हुई हैं। यह कानून महिला उत्थान को मजबूत करने का कदम है जिसमें हर समुदाय, हर वर्ग, हर धर्म के बारे में विचार किया गया है।

‘बीजेपी के बड़े वादे में शामिल रहा यूसीसी’

राज्य सरकार जल्द ही इस विधेयक को कानून का रूप देकर पूरे राज्य में लागू करने वाली है। वहीं, देश में भी इस समय समान नागरिक संहिता को लेकर बहस छिड़ गई है। उत्तराखंड को मॉडल के रूप में पेश किया जा रहा है। सवाल ये है कि आखिर बीजेपी का ये दांव कितना काम आएगा और ये आम चुनाव से पहले बीजेपी की कोई रणनीति का हिस्सा है?

फिलहाल, आजादी के बाद उत्तराखंड देश में यूसीसी लागू करने वाला पहला राज्य बनने जा रहा है। हालांकि, पुर्तगाली शासन के दिनों से गोवा में भी यूसीसी लागू है। संविधान में गोवा को विशेष राज्य का दर्जा या गया है। गुजरात और असम समेत देश के कई बीजेपी शासित राज्यों ने उत्तराखंड यूसीसी को एक मॉडल के रूप में अपनाने की इच्छा जाहिर की है। इस वि धेयक में 400 से ज्यादा प्रावधान किए गए हैं। शादी से लेकर लिव इन रिलेशन तक पर सख्त नियम बनाए गए हैं। हालांकि, इस विधेयक में जो विशेष प्रावधान किए गए हैं, उन्हें लेकर विवाद खड़ा हो सकता है।

UCC पर ओवैसी भी भड़के
उत्तराखंड विधानसभा में पेश हुए UCC बिल को AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने मुसलमानों के खिलाफ साजिश बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि नए बिल के जरिए मुसलमानों को उनके मजहब से दूर करने की साजिश की जा रही है। ओवैसी ने कहा कि जब जनजातियों को इस बिल से बाहर रखा गया है, तब यह यूनिफॉर्म सिविल कोड कैसे हो सकता है।

UCC पर AIMPLB का क्या स्टैंड है?
उत्तराखंड विधानसभा में पेश किए गए UCC बिल पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के कार्यकारी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा- यदि आप किसी समुदाय को इस UCC से छूट देते हैं, तो इसे एक समान संहिता कैसे कहा जा सकता है? ऐसे किसी समान नागरिक संहिता की कोई आवश्यकता नहीं थी। हमारी टीम मसौदों को देख रही है। उसके बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

समाजवादी पार्टी सांसद ने किया विरोध
समाजवादी पार्टी सांसद एसटी हसन ने उत्तराखंड विधानसभा में पेश किए गए यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि कुरान के खिलाफ आने वाले किसी भी कानून का विरोध करेंगे। हम कुरान को मानने वाले लोग हैं। इसका किसी भी स्थिति में समर्थन नहीं किया जाएगा।

हरीश रावत का यूसीसी पर हमला
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बिल को लेकर कहा कि धामी BJP नेताओं को खुश करने के लिए इसे लेकर आए हैं। हरीश रावत ने BJP पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि BJP को यूसीसी के ड्राफ्ट में केवल वोट नजर आ रहे हैं। यूसीसी के जरिए प्रदेश की आठ फीसदी आबादी को निशाना बनाए जाने का प्रयास किया जा रहा है। इससे देश- दुनिया में धर्म से जुड़े मामलों में हस्तक्षेप से अच्छा संदेश नहीं जाएगा।

TMC सांसद बोले- बंगाल में UCC लागू नहीं करेंगे
TMC सांसद सौगत रॉय ने कहा कि हम UCC लागू करने के पक्ष में नहीं हैं। वे इसे बीजेपी शासित राज्यों में लागू कर सकते हैं, लेकिन हम पश्चिम बंगाल में इसे लागू नहीं करेंगे।

समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक का उद्देश्य नागरिक कानूनों में एकरूपता लाना है। यानी प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान कानून होना। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। सभी पंथ के लोगों के लिए विवाह, तलाक, भरण-पोषण, विरासत और बच्चा गोद लेने में समान रूप से कानून लागू होगा।

 

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