लोकसभा चुनाव की सियासी तपिश के बीच एक बार फिर से मीडिया से लेकर सोशल मीडिया में AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और उनके पूर्वजों के धर्म को लेकर खबरों का बाजार गर्म है। कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि हिंदू ब्राह्मण तुलसीरामदास असदुद्दीन ओवैसी के परदादा थे।
जुलाई 2021 में राज्यसभा सांसद प्रोफेसर राकेश सिन्हा ने दावा किया कि चार पीढ़ी पहले असदुद्दीन ओवैसी के पूर्वज हैदराबाद के ब्राह्मण थे। धर्म बदलने के बाद वह मुस्लिम बने।
करीब दो साल बाद अगस्त 2023 में जम्मू-कश्मीर के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘भारत में पैदा हुआ प्रत्येक व्यक्ति स्वाभाविक रूप से हिंदू है।’ इसके बाद दोबारा से ओवैसी के पूर्वजों को लेकर चर्चा तेज हो गई।
असदुद्दीन ओवैसी के परदादा थे हिन्दू ब्राह्मण?
जून 2022 में मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के परपोते याकूब हबीबुद्दीन तुसी उर्फ प्रिंस तुसी ने असदुद्दीन ओवैसी को तुलसीराम का परपोता बताया था। साथ ही उन्होंने ओवैसी की पूरी कथित वंशावली बताई थी। तब प्रिंस तुसी ने ज्ञानवापी मामले पर ओवैसी पर मुसलमानों को भड़काने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की थी। तुसी ने ओवैसी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वो हैदराबाद की मस्जिदों की ठीक से रखवाली नहीं कर पा रहे, लेकिन ज्ञानवापी मामले पर मुस्लिमों को भड़का रहे।
सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने दावा किया कि असदुद्दीन ओवैसी के दादा अब्दुल वहीद का नाम तुलसीराम दास था। मुस्लिम धर्म को स्वीकार करने से पहले वो ब्राह्मण थे और उन्होंने अपना धर्म बदल लिया था।
इस तरह के ट्वीट करने वालों को जवाब देते हुए ओवैसी ने कहा था, ‘ये मेरे लिए हमेशा मजेदार होता है कि जब उन्हें वंश गढ़ना होता है, तब भी संघियों को मेरे लिए एक ब्राह्मण पूर्वज ढूंढना पड़ता है। हम सभी को अपने कर्मों का जवाब देना होगा। हम सभी आदम और हव्वा के बच्चे हैं। जहां तक मेरी बात है, मुसलमानों के समान अधिकारों और नागरिकता के लिए लोकतांत्रिक संघर्ष आधुनिक भारत की आत्मा की लड़ाई है। यह ‘हिंदूफोबिया’ नहीं है।’
It’s always amusing to me that even when they have to concoct a lineage, Sanghis have to find a Brahmin ancestor for me. We all have to answer for our own deeds. We are all children of Adam & Hawa AS. As for me, the democratic struggle for equal rights & citizenship of Muslims is… pic.twitter.com/b7KHhw40Iv
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) August 20, 2023
पहले भी हो चुके हैं वंशावली पर दावे
गौरतलब है कि ये कोई पहला मौका नहीं जब ओवैसी के वंश के बारे में ऐसा कुछ दावा किया जा रहा। इससे पहले वर्ष 2017 में BJP के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा था कि ओवैसी के परदादा हैदराबाद के एक ब्राह्मण थे और उन्हें इस्लाम में धर्मांतरित कर दिया गया था। ओवैसी ने तब इसका जवाब देते हुए कहा था, ‘नहीं, मेरे परदादा, उनके परदादा और उनके परदादा और सभी दादा पैगंबर आदम से आए थे।’
ओवैसी के पूर्वजों के ब्राह्मण होने का कोई पुख्ता दस्तावेज नहीं मिलता है।
ओवैसी के दादा अब्दुल वहीद ओवैसी ने 1957 में हैदराबाद के रजाकारों की पार्टी MIM की कमान संभाली थी। अब्दुल वहीद ओवैसी ने संगठन का नाम बदलकर ऑल-इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन यानी AIMIM रख दिया। उन्होंने इसे एक मुस्लिम संगठन की बजाय राजनीतिक पार्टी का रूप दिया। AIMIM का पार्टी संविधान नए सिरे से लिखा गया। 1957 के बाद से ओवैसी परिवार की तीसरी पीढ़ी का पार्टी पर दबदबा है। अब्दुल वहीद ओवैसी मौजूदा AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के दादा थे।
असदुद्दीन ओवैसी के पिता की पॉलिटिक्स में एंट्री
1960 में पहली बार AIMIM पार्टी ने हैदराबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन का चुनाव लड़ा। हैदराबाद म्युनिसिपल के मल्लेपल्ली वार्ड से अब्दुल वहीद ओवैसी ने अपने बेटे सलाहुद्दीन ओवैसी को टिकट दिया था। एक तरह से औवैसी परिवार की दूसरी पीढ़ी यानी सलाहुद्दीन ओवैसी की राजनीति में एंट्री हो गई। इस म्युनिसिपल चुनाव में सलाहुद्दीन को जीत मिली। दो साल बाद ही आंध्र प्रदेश में विधानसभा का चुनाव हुआ। इस चुनाव में पत्थरघट्टी विधानसभा से पहली बार जीतकर सलाहुद्दीन विधायक बन गए।
साल 1975 में मौलवी अब्दुल वहीद ओवैसी की मौत के बाद, उनके बेटे सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी ने पार्टी की अध्यक्षता संभाली। 1984 में सलाहुद्दीन हैदराबाद से लोकसभा चुनाव जीत गए। इसके बाद 2004 तक लगातार 6 बार वह इस सीट से सांसद रहे।
राजनीति में उतरे असदुद्दीन ओवैसी
1994 में सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी ने अपने बड़े बेटे असदुद्दीन ओवैसी को राजनीति में उतारने का फैसला किया। इस साल वो पहली बार चारमीनार विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और जीत गए। 1999 में उन्होंने दोबारा उसी विधानसभा क्षेत्र से भारी मतों से जीत हासिल की।
2004 में पहली बार ओवैसी अपने पिता के बाद हैदराबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और जीत गए। तब से वो लगातार इस लोकसभा सीट पर चुनाव जीत रहे हैं। 2008 में बिना किसी विरोध के असदुद्दीन ओवैसी को AIMIM का अध्यक्ष बना दिया गया।